Diwali 2022 date: दीपावली 2022 पूजा तिथि | शुभ मुहूर्त | पूजा विधि एवं उपाय
दीपों का त्योहार कहे जाने वाले दीपावली का पर्व हर वर्ष शरद ऋतु में मनाया जाता है। यह त्योहार हिंदुओं का सबसे प्रमुख त्योहार है। प्रत्येक वर्ष के कार्तिक मास की अमावस्या को त्योहार मनाया जाता है। भारतवर्ष में इस पर्व का अलग ही उल्लास हमें देखने को मिलता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा करने से घर परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है। इस बार भी दीपावली की तैयारियां अभी से शुरु हो चुकी हैं। बाजारों में दीपावली की रौनक अभी से देखी जा सकती है। आइये जानते है Diwali 2022 date क्या है? Diwali 2022 की तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजन विधि आदि।
Diwali 2022 date: तिथि एवं शुभ मुहूर्त
दीपावली का त्योहार हर वर्ष कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मनाया जाता है और इस वर्ष यह त्योहार 24 अक्टूबर दिन सोमवार को मनाया जाएगा।
- अमावस्या तिथि आरंभ: 24 अक्टूबर को शाम 05:27 बजे से
- अमावस्या तिथि समाप्त: 25 अक्टूबर को शाम 05:27 बजे तक
- लक्ष्मी पूजन का समय: शाम 6:54 से 08:16 मिनट तक
- पूजा की अवधि: 1 घंटा 21 मिनट
History and significance of Diwali | दीपावली का इतिहास और महत्व
दीपावली का त्योहार भारत के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग कारणों से मनाया जाता है। उत्तरी भारत में यह त्योहार उस दिन के अवसर के रूप में मनाया जाता हैं जब भगवान राम राक्षस रावण को हराकर अपनी पत्नी सीता, भाई लक्ष्मण और हनुमान के साथ अयोध्या लौटे थे। जिस दिन वे लौटे वह अमावस्या का दिन था। अयोध्यावासियों ने श्री राम का स्वागत दीप जलाकर किया था। इसलिए इस त्योहार को दीपावली के नाम से जानते है। दक्षिण भारतीय इस अवसर को उस दिन के रूप में मनाते हैं जब भगवान कृष्ण ने नरकासुर को हराया था। इसके अलावा, यह माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी शादी के बंधन के बंधे थे। वैकल्पिक किंवदंतियों का यह दावा है कि देवी लक्ष्मी का जन्म कार्तिक महीने की अमावस्या के दिन हुआ था।
Rituals of Deepavali 2022
दीपावली पूरे भारत मे विभिन्न रूपों में मनाई जाती है और इसी प्रकार यह एक महत्वपूर्ण अवकाश भी है।
- दिवाली धनतेरस से शुरु होती है। धनतेरस के अगले दिन नरक चतुर्दशी होती है जिस दिन भगवान कृष्ण ने राक्षस नरकासुर का वध किया था। इसके बाद आती है अमावस्या, जिस दिन देवी लक्ष्मी की पूजा करी जाती है।
- इसके बाद में आती है गोवर्धन पूजा और अंत में भाई दूज का दिन मनाया जाता है। भाई दूज के दिन बहने अपने भाइयों को तिलक लगाकर उनकी पूजा करती हैं और उनके लंबे और स्वस्थ जीवन की कामना करते हैं।
- दक्षिण भारत में दीपावली के त्योहार का अलग महत्व है। उनके अनुसार इस दिन प्राचीन राजा महाबली के उनके घरों में आते हैं इसलिए वे अपने घरों को फूलों और गाय के गोबर से सजाते हैं।
- दक्षिणी भारत में, दिवाली उनके प्राचीन राजा महाबली के घर आने का प्रतीक है और लोग राजा के स्वागत के लिए अपने घरों को फूलों और गाय के गोबर से सजाते हैं। इस दिन गोवर्धन पूजा की जाती है।
- बंगाल और पूर्वी भारत के अन्य हिस्सों में इस दिन देवी काली की पूजा की जाती है। इसे श्यामा पूजा के नाम से जाना जाता है।
- महाराष्ट्र में दिवाली की शुरुआत गायों और उनके बछड़ों की पूजा से होती है। इसे वासु बरस के नाम से जाना जाता है।
- देश भर में बड़े दिवाली मेले लगते हैं। ये मेले व्यापार के केंद्र हैं और इन आयोजनों में कई कलाकार और कलाबाज प्रदर्शन करते नजर आते हैं।
दीपावली 2022 पूजा विधि
- अपने घर की साफ-सफाई करें और इसे गंगाजल से शुद्ध कर लें।
- एक वेदी या एक मंच स्थापित करें। इसे लाल कपड़े से ढक दें। बीच में कुछ दाने डालें।
- अब तांबे के कलश में पानी, अनाज, फूल और सिक्का भर दें।
- कलश के गले में आम के पत्ते डालें। कलश को मंच के केंद्र में रखें।
- चावल के दानों का एक छोटा सा सपाट ढेर व्यवस्थित करें।
- केंद्र में देवी लक्ष्मी की मूर्ति और कलश पर पूजा की थाली रखें। गणेश जी की मूर्ति को कलश की दायीं ओर दक्षिण-पश्चिम दिशा में रखें।
- लक्ष्मी पूजा के तेल का उपयोग करके एक तेल का दीपक जलाएं, अधिमानतः एक पंच मुखी दीया।
- अपने व्यापार या धन से संबंधित सामग्री, किताबेें या सामान रखें।
- दिवाली लक्ष्मी पूजा घर से शुरू करें। कलश पर तिलक करें और फूल चढ़ाएं।
- हल्दी पाउडर, चंदन के पेस्ट और सिंदूर से मूर्तियों को सजाएं। मूर्तियों को माला और फूलों से सजाएं।
- अब अंत में देवी लक्ष्मी का मंत्र जाप करें और उनकी आरती करें।
निष्कर्श
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