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शिवलिंग पर जल कब नहीं चढ़ाना चाहिए , शिवलिंग
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ज्योतिष

शिवलिंग पर जल कब नहीं चढ़ाना चाहिए?

हिन्दू धर्म में भगवान शिव की पूजा को अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। भगवान शिव की पूजा मुख्य रूप से शिवलिंग के रूप में की जाती है। शास्त्रों में ऐसा वर्णित है कि रोजाना शिवलिंग पर जल चढ़ाने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और अपनी कृपा बरसाते हैं। किन्तु क्या आपको पता है कि शिवलिंग पर जल न चढ़ाने योग्य किसी विशेष समय होता है? आइए हम इस विषय पर और अधिक विस्तार से जानें।

1. संध्या और रात्रि के समय

शिवलिंग पर जल चढ़ाना शुभ माना जाता है, लेकिन इसके संबंध में कुछ नियम होते हैं जिनका पालन करना अत्यंत आवश्यक है। इन नियमों के अनुसार, शिव लिंग पर जल कभी भी संध्याकाल के समय या रात्रि में नहीं चढ़ाना चाहिए। इसके बजाय, इसे सुबह के समय या दिन के अन्य समय में ही चढ़ाना चाहिए।

2. प्रदोष काल

प्रदोष व्रत या शिवरात्रि के समय, प्रदोष काल में शिवलिंग की पूजा करने का प्राचीन रीतिरिवाज है। प्रदोष काल रात्रि के समय होता है, जब प्रदोष का समय आरंभ होता है, लेकिन इस काल में भी आप भगवान शिव की पूजा कर सकते हैं, लेकिन उनके शिव लिंगम् पर जल नहीं चढ़ाना चाहिए। ऐसा करना अशुभ माना जाता है।

3. सूर्यास्त के समय

शिवलिंग पर सूर्यास्त के समय या उसके बाद चढ़ाया हुआ जल विष के समान माना जाता है। इसके अलावा, शास्त्रों और विशेष रूप से शिव पुराण में इस बात का उल्लेख मिलता है कि शिव लिंगम् के श्रृंगार के बाद भी उसपर जल नहीं चढ़ाना चाहिए। इससे भगवान शिव रुष्ट हो जाते हैं। यह नियम भगवान की कृपा को प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण है, और हमें ध्यान रखना चाहिए कि हम इसे पूरी श्रद्धा और नम्रता से पालन करें।

4. दोपहर के समय

धर्म शास्त्रों के अनुसार दोपहर के समय में भी शिवलिंग पर जल चढ़ाना उचित नहीं माना जाता है। इस समय पर जल चढ़ाने से शिव पूजा के अनुष्ठान में अविश्वास और अशुभता हो सकती है। इसलिए, शिव लिंगम् पर जल चढ़ाने का सही समय सुबह के समय या दिन के अन्य समय में ही होता है।

5. शुभ समय

शिवलिंग पर जल चढ़ाने का सबसे अच्छा समय ब्रह्म मुहूर्त माना जाता है। इसके अलावा, सुबह 5 बजे से लेकर सुबह के 11 बजे तक का समय भी शिवलिंग पर जल अर्पण के लिए बहुत ही शुभ माना जाता है। इस समय में पूर्वदिशा अथवा सूर्योदय के समय का चयन किया जा सकता है, जो कि शिव लिंगम् पर जल चढ़ाने के लिए उत्तम होता है।

6. अवशेष जल

शास्त्रों में यह बताया गया है कि सूर्य का प्रकाश शिवा लिंगम् ही निवास करता है। इसलिए, जब हम शिवलिंग पर जल अर्पित करते हैं, तो हम सूर्य को भी उसकी साक्षी मानते हैं। सूर्यास्त के समय या उसके बाद शिवलिंग पर चढ़ाया गया जल सूर्य की साक्ष्य में नहीं गिना जाता, इसलिए इसका कोई अधिक फल नहीं होता।

शिवलिंग पर जल अर्पित करते समय ये बातें याद रखें

  1. शिवलिंग पर शंख से जल नहीं चढ़ाना चाहिए।
  2. शिवा लिंगम् पर केवल जल ही चढ़ाएं, कोई भी अन्य सामग्री न डालें।
  3. शिवलिंग पर जल हमेशा तांबे के लोटे से ही अर्पित करें, लोहे या स्टील के बर्तन का प्रयोग न करें।
  4. कभी भी जल को पूर्व दिशा की ओर मुंह करके न चढ़ाएं।
  5. उत्तर दिशा की ओर मुख करके शिवजी को जल अर्पित करना शुभ माना जाता है।
  6. शिवलिंग पर खड़े होकर नहीं बल्कि बैठकर ही जल चढ़ाएं।
  7. तांबे के बर्तन से शिवलिंग पर दूध भूलकर भी अर्पित न करें।

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